निकली हैं ...ख्वाहिशे कुछ
______________ निकली हैं , ख्वाहिशें कुछ , टहलने ज़रा ! बेज़ार थीं , सदी से , बहलने ज़रा ! _________________ अपनी -सी हो गई हैं , तनहाइयाँ हमारी ! साथी सभी पुराने लगे , हैं जलने ज़रा :)_________________ डॉ. प्रतिभा स्वाति
______________ निकली हैं , ख्वाहिशें कुछ , टहलने ज़रा ! बेज़ार थीं , सदी से , बहलने ज़रा ! _________________ अपनी -सी हो गई हैं , तनहाइयाँ हमारी ! साथी सभी पुराने लगे , हैं जलने ज़रा :)_________________ डॉ. प्रतिभा स्वाति
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