Tuesday, 1 September 2015


प्रेम एक अदृश्य ऊर्जा की तरह होता है ...सिर्फ महसूस होता है और आदत बन जाता है ..और अक्सर लोग उस ऊर्जा के प्रति ग्रेटिटूड शो नहीं करते और जब वो ऊर्जा मिलनी बंद हो जाती है तो छटपटाहट होने लगती हैं ...तब अहसास होता है कि जीवन में बहुत कुछ अच्छा केवल उस ऊर्जा की वजह से ही था

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