Tuesday, 17 July 2018


एक बार देवताओं में चर्चा हो रही थी। चर्चा का विषय था - मनुष्य की हर मनोकामनाओं को पूरा करने वाली गुप्त चमत्कारी शक्तियों को कहाँ छुपाया जाये। सभी देवताओं में इस पर बहुत वाद-विवाद हुआ। सभी देवताओं ने अपने अलग-अलग मत रखे। सबकी राय समाप्त हो जाने के बाद एक बुद्धिमान देवता ने कहा - "क्यों न हम मानव की चमत्कारिक शक्तियों को मानव-मन की गहराइयों में छिपा दें। चूँकि बचपन से ही उसका मन इधर-उधर दौड़ता रहता है, मनुष्य कभी कल्पना भी नहीं कर सकेगा कि ऐसी अदभुत और विलक्षण शक्तियां उसके भीतर छिपी हो सकती हैं और वह इन्हें बाह्य जगत में खोजता रहेग। अतः इन बहुमूल्य शक्तियों को हम उसके मन की निचली तह में छिपा देंगे"। बाकी सभी देवता भी इस प्रस्ताव पर सहमत हो गए। और, ऐसा ही किया गया, मनुष्य के भीतर ही चमत्कारी शक्तियों का भण्डार उसके मन के भीतर ही छुपा दिया गया। इसलिए कहा जाता है मानव मन में अद्भुत शक्तियां निहित हैं। इस कहानी का सार यह है कि मानव मन असीम ऊर्जा का कोष है। इंसान जो भी चाहे वो हासिल कर सकता है। मनुष्य के लिए कुछ भी असाध्य नहीं है। लेकिन बड़े दुःख की बात है कि उसे स्वयं ही विश्वास नहीं होता कि उसके भीतर इतनी शक्तियां विद्यमान हैं। अतः, अपने अंदर की शक्तियों को पहचानिये, उन्हें पर्वत, गुफा या समुद्र में मत ढूंढिए, बल्कि अपने अंदर खोजिए और अपनी शक्तियों को निखारिए। हथेलियों से अपनी आँखों को ढंककर अंधकार होने का शिकायत मत कीजिये। आँखें खोलिए, अपने भीतर झांकिए और अपनी अपार शक्तियों का प्रयोग कर अपना हर एक सपना पूरा कर डालिये.... ।

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