"इंसान के दुःखी होने के दो प्रमुख कारण है,
दूसरों से अत्यधिक अपेक्षा रखना और खुद
को कम से कम बदलने की कोशिश करना।"
नास्तिक जब विश्वाश करने लगता है
तो बड़े-२ पंडित भी उसके आगे टिक
नहीं पाते
है। "
दूसरों से अत्यधिक अपेक्षा रखना और खुद
को कम से कम बदलने की कोशिश करना।"
नास्तिक जब विश्वाश करने लगता है
तो बड़े-२ पंडित भी उसके आगे टिक
नहीं पाते
है। "
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